कहानी २४: (यूहन्ना बतिस्मा देने वाला ) परमेश्वर का बेटा

मत्ती ३; मरकुस १; लूका ३

Baptism of Jesus in stained glass

भीड़ यूहन्ना पर उमड़ती जा रही थी, और उसने यरदन नदी के पानी में सब पश्चाताप करने वालों को बपतिस्मा दिया। लोग उसके परमेश्वर कि आत्मा से भरे हुऐ निडर घोषणाओं को देख सकते थे, और वे आश्चर्य करने लगे कि वह कौन है। क्या वह नबी मीका के भविष्वाणी के अनुसार नबी एलिशा था जो वापस जीवित हुआ? क्या वह मसीहा था? क्या वह आने वाला नबी था जिसके विषय में मूसा ने व्यवस्थाविवरण की किताब में उल्लेख किया है? और इसका क्या अर्थ था कि परमेश्वर नए और शक्तिशाली तरीके से काम कर रहा था?

उनके सभी सवालों का, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला केवल एक ही जवाब देता था। उसने कहा कि जो आ रहा है वह उससे कहीं अधिक महान है। वह इस बात इस बात कि ओर चौकस रहता था की मसीह कि ओर रास्ता दिखाए। उसने कहा;

“मैं तो तुम्हें तुम्हारे मन फिराव के लिये जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझ से महान है। मैं तो उसके जूतों के तस्मे खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और अग्नि से बपतिस्मा देगा।12 उसके हाथों में उसका छाज है जिस से वह अनाज को भूसे से अलग करता है। अपने खलिहान से वह साफ किये समस्त अनाज को उठा, इकट्ठा कर, कोठियों में भरेगा और भूसे को ऐसी आग में झोंक देगा जो कभी बुझाए नहीं बुझेगी।”
मत्ती ३ः११-१२

सुसमाचार सुनाते समय यूहन्ना ने अपनी भूमिका नहीं खोई। उसने यह घोषित किया कि यीशु ही है जो राज्य को लाएगा! उसकी महानता के आगे यूहन्ना ने अपने को नम्र बनाया। इस्राएलियों के मध्य में केवल एक पूर्ण सेवक को किसी की जूती को खोलने और लाने कि आज्ञा थी। इसलिए कि जब यूहन्ना ने यह कहा कि वह उसकी जूती को उठाने के योग्य नहीं है तो वह नम्रता को घोषित कर रहा था। वह यह कह रहा था कि मसीह के पवित्र योग्यता की तुलना में वह छोटे से छोटे सेवक से भी छोटा है। आज के समय के सबसे शक्तिशाली उपदेशक कि ओर से यह आया हुआ बड़ा बयान था। यीशु के आगे ऐसी नम्रता किसी असुरक्षा कि निशानी को संकेत नहीं करता। राज्य के सुसमाचार के मूल्य को लेकर वह निश्चय था। वह जानता था कि जिस प्रकार एक किसान अपने खलिहान में अनमोल,पौष्टिक गेहूं बटोरता है वैसे ही वे जो परमेश्वर की ओर ध्यान देंगे वे उसके राज्य में इकट्ठे किये जाएंगे। यह अवश्य ही एक महत्वपूर्ण संदेश था !

यूहन्ना ने यह घोषित किया कि जो उसकी बातों को अस्वीकार करेंगे वे फूस के सामान होंगे। यह एक गेहूं के पौधे का बेकार हिस्सा है। गेहूं का अनमोल गुठली जब फूस से अलग कर दिया जाता है, उसे आग में फेंक कर जला दिया जाता है। यह कठोर, कठिन शब्द थे। वे गंभीर और डरावने थे ! लेकिन वे सही थे। मानवता के लिए केवल दो विकल्प हैं। विद्रोही की कड़ी हार्दिकता को तोड़ने के लिए इस गंभीरता की जरूरत थी। उनके धोकेपन से उन्हें झंझोरने के लिए और क्या कर सकते है? और विनाश की ओर जाने वाले को क्या दिखा सकते थे ?

कुछ समय के लिए, यूहन्ना ने बेथनी के शहर के पास यरदन नदी में बपतिस्मा दिया। जिस समय वह वहाँ था, यीशु उससे बपतिस्मा लेने के लिये गलील से आया। इस समय तक, यीशु ने एक बढ़ई के रूप में काम किया था। जो काम उसके पिता ने किया वही काम उसने भी किया। लेकिन समय आ गया था कि वह अपनी सेवकाई को शुरू करे, और इसीलिए वह अपने भाई को मिलने गया जो उसकी राह को तैयार करने में जुटा हुआ था।

जब यूहन्ना ने यीशु को नदी में उसकी ओर बढ़ते देखा उसने उसे रोकने की कोशिश की। ” ‘मुझे आप से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और आप मेरे पास आते हो?’ ” यूहन्ना जानता था कि उसे मसीह से शुद्धिकरण की जरूरत है, ना की यीशु को। वह जनता था कि यीशु को पश्चाताप करने की ज़रूरत नहीं थी। उसने पाप कभी नहीं किया था। परन्तु यीशु यह जनता था कि बपतिस्मा परमेश्वर की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।उन्होंने कहा, ” ‘यह ऐसा होने दो; हमारे लिए ऐसा करना उचित  होगा ताकी सारी धार्मिकता पूरी हो।” सो यूहन्ना सहमत हुआ।

यीशु परमेश्वर की इच्छा को विनम्रता से प्रस्तुत करने के लिये पानी में उतरा। जैसे ही वह पानी से ऊपर आया, आकाश खुद-ब-खुद खुला और पवित्र आत्मा कबूतर की नाई यीशु पर उतरा। अभिषेक किया हुआ आ चुका था। स्वर्ग से एक आवाज़ निकली और बोली :

“‘यह मेरा पुत्र है ,जिससे मैं प्रेम करता हूँ, और मैं उससे प्रसन्न हूँ ।’ “

वाह! हमें यहाँ थामना चाहिए। बाइबिल कि कहानियों में कुछ ऐसी बातें होती हैं जो बहुत महान और शानदार हैं और जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हम उस महानता को देख भी नहीं पाते क्यूंकि उसे देखने के लिए हमारी काल्पनिक नज़र बहुत छोटी है। यह एक चींटी की तरह है जो एक सुन्दर झरने के किनारे से जा रही है। चींटी केवल उस लकड़ी को समझ सकती है जो उसके पैरों के नीचे है। उसे उसके चारों ओर गिरने वाली महिमा का कोई अंदाज़ा नहीं है। इस कहानी में, परमेश्वर पिता ने स्वर्ग से अपनी महिमा के सिंहासन से बात की थी!

अपने महान प्रेम और सही योजना से, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने उन महान महत्व शब्दों से आकाश को दो भागों में बाटा। उन्होंने कहा कि यह मनुष्य, यीशु, उनका अपना ही पुत्र है। और उन्होंने अपनी खुशी का वर्णन करने के लिए अपने ही पवित्र शास्त्र  के वचनों का प्रयोग किया। बाइबिल का एक अच्छा यहूदी छात्र ये वचन ” ,मैं इससे बहुत खुश हूँ ” को यशायाह की भविष्यवाणी में खोज सकता था।  यह अध्याय ४२ः१-४ से है। अपने बेटे कि सेवकाई के विषय में पिता परमेश्वर संसार को एक शक्तिशाली सन्देश दे रहा था। यशायाह ने यूं कहा है ;

“मेरे दास को देखो! मैं ही उसे सभ्भाला हूँ।
मैंने उसको चुना है, मैं उससे अति प्रसन्न हूँ।
मैं अपनी आत्मा उस पर रखता हूँ।
वह ही सब देशों में न्याय खरेपन से लायेगा।
वह गलियों में जोर से नहीं बोलेगा।
वह नहीं चिल्लायेगा और न चीखेगा।
वह कोमल होगा। कुचली हुई घास का तिनका तक वह नहीं तोड़ेगा।
वह टिमटिमाती हुई लौ तक को नहीं बुझायेगा।
वह सच्चाई से न्याय स्थापित करेगा।
वह कमजोर अथवा कुचला हुआ तब तक नहीं होगा
जब तक वह न्याय को दुनियाँ में न ले आये।
दूर देशों के लोग उसकी शिक्षाओं पर विश्वास करेंगे।”

यूहन्ना के लिए कैसा आश्चर्य भरा दिन था! त्रिएक परमेश्वर  की महिमा  उसकी आंखों के सामने थी। उसके सामने वो परमेश्वर का पुत्र खड़ा था जिसके पिता ने स्वर्ग से बोला था  इस बीच परमेश्वर कि आत्मा कि समर्थ का विशेष अभिषेक इस मनुष्य पर उतरा जो स्वयं भी परमेश्वर था। यह हमारे लिए समझना असम्भव है कि कैसे पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा त्रिएक परमेश्वर है, और फिर भी वे पूरी तरह से एक जुट और पूर्ण रूप से एक हैं। यह रहस्य मानव क्षमता से परे है। हमें पूरी विनम्रतापूर्वक बाइबिल के इस सच्चाई के लिए खुद को प्रस्तुत करना है। और हम आनंद मनाएं कि उस दिव्य प्रेम की पूर्णता से घिरे हुए हैं।

जो हम जानते हैं वह यह है की, यीशु के बपतिस्मे के समय परमेश्वर ने अपने आप को एक साथ त्रिएकता में प्रकट किया था। उन्होंने अपने बेटे को पृथ्वी पर खोये हुओं के उद्धार के लिए सार्वजनिक रूप से अभिषेक किया। यीशु, जो आने वाला था, मानव जाती के इतिहास में उसके शब्द और सेवकाई परमेश्वर कि इच्छा और योजना का एक हिस्सा था। जो काम वह करने वाला था उसकी क्या सामर्थ भरी शुरुआत थी! यूहन्ना की यीशु में आशायें परमेश्वर कि यशस्वी उपस्तिथि से साबित हुईं जो उस दिन यरदन नदी पर दिखीं, और उसने सहसपूर्व यीशु के विषय में प्रचार किया।

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