कहानी १४९: प्रसव पीड़ा 

मत्ती २४:१-१४, मरकुस १३:५-१३, लूका २१:८-१९

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यीशु अपने क़ीमती राष्ट्र को पिता के प्यार को दिखाने  उत्सुक था! लेकिन वे इसे स्वीकार नहीं कर रहे थे।मन्दिर को छोड़ कर यीशु जब वहाँ से होकर जा रहा था तो उसके शिष्य उसे मन्दिर के भवन दिखाने उसके पास आये। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “’तुम इन भवनों को सीधे खड़े देख रहे हो? मैं तुम्हें सच बताता हूँ, यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर टिका नहीं रहेगा। एक एक पत्थर गिरा दिया जायेगा।’”

यीशु कि यह एक और महान शिक्षा का आरम्भ था। जब हम सुसमाचारों में पढ़ रहे थे, हमने देखा कि मत्ती ने यीशु के सभी मुख्य शिक्षाओं को पांच मुख्य भाग में बाँट दिया है। उसने यीशु कि सभी शिक्षाओं को पांच मुख्य भाग में डाल दिया जो यीशु अपने तीन साल कि सेवकाई में सिखाया। फिर जब उसने कहानी को लिखा, उसने हर एक भाग के लिए एक खंड बनाया ताकि जब हम उसे पढ़ें सब कुछ स्पष्ट और साफ़ हो। हमने पढ़ा की किस तरह पहाड़ी उपदेश (मत्ती ५-७) पहला खंड था, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे परमेश्वर के राज्य के लोगों को अपने जीवन को पवित्र परमेश्वर के आगे व्यतीत करना है। अगला खंड मत्ती दस था, जिसमें मत्ती बताता है कि कैसे यीशु चाहता था कि जा कर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाएं। हमने और दो खंड का उल्लेख नहीं किया है, जबकि हम उसे पढ़ चुके हैं। तीसरा खंड मत्ती 13 से है जहाँ यीशु के दृष्टान्तों के बारे में बताया गया है। चौथा खंड मत्ती १८-२० में दिया है, जहां यीशु क्षमा करने के विषय में बताते हैं और जो स्वर्ग राज्य में चाहते हैं उनके लिए रुकावट ना बनें। अब हम मत्ती के अंतिम खंड को पढ़ने जा रहे हैं, जहां यीशु अपने चेलों को सिखा रहे हैं कि किस तरह परमेश्वर मनुष्य के इतिहास को समाप्त कर देगा। यह कितना आकर्षक शीर्षक है। हमें इसे समझना ज़रूरी है क्यूंकि हमें तैयार रहना है! हमें जानना है कि उस दिन तक के लिए हमें कैसे अपना जीवन व्यतीत करना है!

यीशु अपने चेलों के साथ येरूशलेम को जब जा रहा था, वे किद्रोन घाटी से होकर जैतून के पहाड़ कि ओर जाने लगे। फिर वे दाऊद के शहर कि ओर देखते हुए वहाँ बैठ गए। सोचिये चेलों के दिमाग में क्या चल रहा था। यीशु ने उन्हें बताया कि पूरा मंदिर नष्ट कर दिया जाएगा। इसका क्या अर्थ हो सकता है? शिष्य उसके पास आये और बोले, “हमें बता यह कब घटेगा? जब तू वापस आयेगा और इस संसार का अंत होने को होगा तो कैसे संकेत प्रकट होंगे?”

वे अभी भी प्रभु के दिन कि अपेक्षा कर रहे थे। वे यह समझ रहे थे कि वह आने वाला है, और यीशु उसे वापस लाने के लिए वापस आएगा। मंदिर तो नष्ट किया जाएगा, और वे जानना चाहते थे कि कब होगा। और यीशु वापस आ ही रहे थे, और वे चिन्ह कि मांग कर रहे थे ताकि वे तैयार रहे।

यीशु के पास उनके लिए उत्तर तैयार था। अब समय आ गया था कि वे भी जान जाएं:
“सावधान! तुम लोगों को कोई छलने न पाये। मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि ऐसे बहुत से हैं जो मेरे नाम से आयेंगे और कहेंगे ‘मैं मसीह हूँ’ और वे बहुतों को छलेंगे। तुम पास के युद्धों की बातें या दूर के युद्धों की अफवाहें सुनोगे पर देखो तुम घबराना मत! ऐसा तो होगा ही किन्तु अभी अंत नहीं आया है। हर एक जाति दूसरी जाति के विरोध में और एक राज्य दूसरे राज्य के विरोध में खड़ा होगा। अकाल पड़ेंगें। हर कहीं भूचाल आयेंगे। किन्तु ये सब बातें तो केवल पीड़ाओं का आरम्भ ही होगा।'” –मत्ती २४:४-८

यीशु अपने चेलों को सिखा रहे थे कि जब तक अंत का समय नहीं आ जाता उन्हें किस तरह जीना है। यह वैसा समय होगा एक स्त्री बच्चे को जन्म देते समय दर्द से तड़पती है। बच्चा जनने कि पीड़ा प्रसव पीड़ा से अधिक होता है। वो दर्द उस चेतावनी कि तरह होती है कि कुछ भयंकर होने जा रहा है। लड़ाई और अकाल के प्रसव पीड़ा कि उस भयंकर क्रोध से तुलना की गई है जो प्रभु के दिन में आने वाला है।

हम अपने इतिहास कि ओर देख कर बता सकते हैं कि अंतिम पीड़ा कैसी होगी। हम जानते हैं कि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता आ गए हैं जो लोगों को यीशु के आने कि गलत सूचना दे रहे हैं। भूचाल और भयंकर अकाल को देखते हैं, तो हम जान जाते हैं कि अंतिम समय आ गया है और इस संसार की सारी समस्याएँ दूर हो जाएंगी जो श्राप के कारण आ गयीं थीं।

एक समय आएगा जब परमेश्वर इंसान को पाप और घृणा में और नहीं रहने देगा। वह आकर राज करेगा और फिर युगानुयुग कि शान्ति को लेकर आएगा। परन्तु यह प्रसव पीड़ा केवल देशों के बीच दिखाई नहीं देगी। इन सब महान घटनाओं के बीच, परमेश्वर के पीछे चलने वाले उसके सुसमाचार को फैलाएंगे। उन्हें भी विरोध का सामना करना होगा। यीशु ने इस तरह समझाया:

“’उस समय वे तुम्हें दण्ड दिलाने के लिए पकड़वायेंगे, और वे तुम्हें मरवा डालेंगे। क्योंकि तुम मेरे शिष्य हो, सभी जातियों के लोग तुमसे घृणा करेंगे। उस समय बहुत से लोगों का मोह टूट जायेगा और विश्वास डिग जायेगा। वे एक दूसरे को अधिकारियों के हाथों सौंपेंगे और परस्पर घृणा करेंगे। बहुत से झूठे नबी उठ खड़े होंगे और लोगों को ठगेंगे। क्योंकि अधर्मता बढ़ जायेगी सो बहुत से लोगों का प्रेम ठंडा पड़ जायेगा। किन्तु जो अंत तक टिका रहेगा उसका उद्धार होगा। स्वर्ग के राज्य का यह सुसमाचार समस्त विश्व में सभी जातियों को साक्षी के रूप में सुनाया जाएगा और तभी अन्त आएगा।'”