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कहानी १६१: परमेश्वर के पुत्र की प्रार्थनाएं 

यूहन्ना १७

Vienna -  Holy Trinity in Altlerchenfelder church

अपने चेलों के साथ उस अंतिम रात्री में, यीशु ने अंत में यह स्पष्ट कर दिया था। जिस राज्य कि घोषणा वे करने जा रहे थे, वह उनकी कल्पना से बाहर था, परन्तु वे बहुत महान और अद्भुद था। आने वाले दिनों को देखते हुए यीशु अपनी आँखें स्वर्गीय पिता कि ओर उठाकर प्रार्थना की। आइये सुनते हैं कि कैसे परमेश्वर का पुत्र अपने पिता से बात करता है:

“’हे परम पिता, वह घड़ी आ पहुँची है अपने पुत्र को महिमा प्रदान कर ताकि तेरा पुत्र तेरी महिमा कर सके। तूने उसे समूची मनुष्य जाति पर अधिकार दिया है कि वह, हर उसको, जिसको तूने उसे दिया है, अनन्त जीवन दे। अनन्त जीवन यह है कि वे तुझे एकमात्र सच्चे परमेश्वर और यीशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जानें। जो काम तूने मुझे सौंपे थे, उन्हें पूरा करके जगत में मैंने तुझे महिमावान किया है। इसलिये अब तू अपने साथ मुझे भी महिमावान कर। हे परम पिता! वही महिमा मुझे दे जो जगत से पहले, तेरे साथ मुझे प्राप्त थी।'”  यूहन्ना १७:१-५

क्या आपको समझ आया? पिता और पुत्र इस तरह कार्य कर रहे थे जिससे कि वे एक दूसरे कि महिमा कर सकें। अब मनुष्य ऐसा करता है, तो यह हास्यास्पद होता। एक दुसरे को हम अच्छे शब्दों के साथ उत्तेजित कर सकते हैं, पर क्यूंकि हम सब पापी हैं इसलिए हम एक हद्द तक ही बोल सकते हैं। हम किसी कि सच में महिमा नहीं कर सकते यदि वे उसके योग्य नहीं हैं। परन्तु परमेश्वर इसके योग्य है, और उसका पुत्र भी। उनके लिए केवल एक ही सही बात यह है कि वे भव्यतापूर्वक महिमा दें। हमारे लिए सबसे उत्तम बात यह है कि हम उनके आगे गिरकर दंडवत करें। इसीलिए यीशु को इंकार करना सबसे भयंकर पाप है। यह पूर्ण रूप से गलत है। परमेश्वर का पुत्र और पिता सत्य हैं और वे एक दूसरे कि महिमा करते हैं।

यीशु जानता था कि जो काम उसके पिता ने उसे सौंपा था वह उसने इस पृथ्वी पर पूरा किया। अब केवल क्रूस ही बचा था। और इसलिए उसने प्रार्थना की कि उसके मृत्यु के पश्चात्, पिता उसकी महिमा को जो उसकी उसके पिता के साथ थी वह उसे वापस मिल जाये।

फिर उसने कहा:
“’जगत से जिन मनुष्यों को तूने मुझे दिया, मैंने उन्हें तेरे नाम का बोध कराया है। वे लोग तेरे थे किन्तु तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन का पालन किया। अब वे जानते हैं कि हर वह वस्तु जो तूने मुझे दी है, वह तुझ ही से आती है। मैंने उन्हें वे ही उपदेश दिये हैं जो तूने मुझे दिये थे और उन्होंने उनको ग्रहण किया। वे निश्चयपूर्वक जानते हैं कि मैं तुझसे ही आया हूँ। और उन्हें विश्वास हो गया है कि तूने मुझे भेजा है।'” यूहन्ना १७:६-८

आपने देखा कि विश्वास यीशु के लिए कितना महवपूर्ण है? सब कुछ उसी पर निर्भर करता है! यीशु कि प्रार्थना को सुनिये:
“‘मैं उनके लिये प्रार्थना कर रहा हूँ। मैं जगत के लिये प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ बल्कि उनके लिए कर रहा हूँ जिन्हें तूने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं। वह सब कुछ जो मेरा है, वह तेरा है और जो तेरा है, वह मेरा है। और मैंने उनके द्वारा महिमा पायी है। मैं अब और अधिक समय जगत में नहीं हूँ किन्तु वे जगत में है अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ। हे पवित्र पिता अपने उस नाम की शक्ति से उनकी रक्षा कर जो तूने मुझे दिया है ताकि जैसे तू और मैं एक हैं, वे भी एक हो सकें। जब मैं उनके साथ था, मैंने तेरे उस नाम की शक्ति से उनकी रक्षा की, जो तूने मुझे दिया था। मैंने रक्षा की और उनमें से कोई भी नष्ट नहीं हुआ सिवाय उसके जो विनाश का पुत्र था ताकि शास्त्र का कहना सच हो।'” यूहन्ना १७:९-१२

“’अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ किन्तु ये बातें मैं जगत में रहते हुए कह रहा हूँ ताकि वे अपने हृदयों में मेरे पूर्ण आनन्द को पा सकें। मैंने तेरा वचन उन्हें दिया है पर संसार ने उनसे घृणा की क्योंकि वे सांसारिक नहीं हैं। वैसे ही जैसे मैं संसार का नहीं हूँ।
“’मैं यह प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ कि तू उन्हें संसार से निकाल ले बल्कि यह कि तू उनकी दुष्ट शैतान से रक्षा कर। वे संसार के नहीं हैं, वैसे ही जैसे मैं संसार का नहीं हूँ। सत्य के द्वारा तू उन्हें अपनी सेवा के लिये समर्पित कर। तेरा वचन सत्य है। जैसे तूने मुझे इस जगत में भेजा है, वैसे ही मैंने उन्हें जगत में भेजा है। मैं उनके लिए अपने को तेरी सेवा में अर्पित कर रहा हूँ ताकि वे भी सत्य के द्वारा स्वयं को तेरी सेवा में अर्पित करें।   यूहन्ना १७:१३-१९

“’किन्तु मैं केवल उन ही के लिये प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ बल्कि उनके लिये भी जो इनके उपदेशों द्वारा मुझ में विश्वास करेंगे। वे सब एक हों। वैसे ही जैसे हे परम पिता तू मुझ में है और मैं तुझ में। वे भी हममें एक हों। ताकि जगत विश्वास करे कि मुझे तूने भेजा है। वह महिमा जो तूने मुझे दी है, मैंने उन्हें दी है; ताकि वे भी वैसे ही एक हो सकें जैसे हम एक हों। मैं उनमें होऊँगा और तू मुझमें होगा, जिससे वे पूर्ण एकता को प्राप्त हों और जगत जान जाये कि मुझे तूने भेजा है और तूने उन्हें भी वैसे ही प्रेम किया है जैसे तू मुझे प्रेम करता है।'”  यूहन्ना १७:२०-२३

अब यीशु हमारे लिए प्रार्थना कर रहा था!

“’हे परम पिता। जो लोग तूने मुझे सौंपे हैं, मैं चाहता हूँ कि जहाँ मैं हूँ, वे भी मेरे साथ हों ताकि वे मेरी उस महिमा को देख सकें जो तूने मुझे दी है। क्योंकि सृष्टि की रचना से भी पहले तूने मुझसे प्रेम किया है।'” यूहन्ना १७:२५-२६